तेरी मोजूदगी का एहतराम कर भी लूं जब होगा रूबरु तो | हिंदी Shayari

"तेरी मोजूदगी का एहतराम कर भी लूं जब होगा रूबरु तो ये ज़ज़बात कहाँ छुपाऊंगा एक उमर लेके आना मैं खाली किताब ले आउंगा तोड़ कर लाने के वादे नहीं मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा मेरी सब्र की इंतहा पर शक कैसा मैंने तेरे आने जाने पे ता उमर लिखी है ज़मीन पे कोई खास नहीं मेरा तू एक बार क़ुबूल कर में अपने गवाहों को आसमा से बुलवाउंगा एक शायरी लिखी है कभी मिलोगे तो सुनाऊंगा। कई रात गुजारी है अंधेरे में तुम थोड़ा सा नूर ले आओगे मेरे तकिये पीले हैं आंसुओं से, क्या तुम मुझे अपनी गोद में सुलाओगे, सुना है बाग है तुम्हारे आंगन में, मेरे ला हासिल बचपन को वो झूला दिखाओगे ?? मैने खोया है अपनी हर प्यारी चीज को, में अपनी क़िस्मत फ़िर भी आजमाऊंगा एक शायरी लिखी है कभी मिलोगे तो सुनाऊंगा । ©Shivaye OM"

 तेरी मोजूदगी का एहतराम कर भी लूं
जब होगा रूबरु तो ये ज़ज़बात कहाँ छुपाऊंगा

एक उमर लेके आना
मैं खाली किताब ले आउंगा
तोड़ कर लाने के वादे नहीं
मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा

मेरी सब्र की इंतहा पर शक कैसा
मैंने तेरे आने जाने पे ता उमर लिखी है
ज़मीन पे कोई खास नहीं मेरा
तू एक बार क़ुबूल कर में अपने
गवाहों को आसमा से बुलवाउंगा

एक शायरी लिखी है
कभी मिलोगे तो सुनाऊंगा।

कई रात गुजारी है अंधेरे में
तुम थोड़ा सा नूर ले आओगे

मेरे तकिये पीले हैं आंसुओं से,
क्या तुम मुझे अपनी गोद में सुलाओगे,

सुना है बाग है तुम्हारे आंगन में,
मेरे ला हासिल बचपन को वो झूला दिखाओगे ??

मैने खोया है अपनी हर प्यारी चीज को,
में अपनी क़िस्मत फ़िर भी आजमाऊंगा
एक शायरी लिखी है
कभी मिलोगे तो सुनाऊंगा ।

©Shivaye OM

तेरी मोजूदगी का एहतराम कर भी लूं जब होगा रूबरु तो ये ज़ज़बात कहाँ छुपाऊंगा एक उमर लेके आना मैं खाली किताब ले आउंगा तोड़ कर लाने के वादे नहीं मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा मेरी सब्र की इंतहा पर शक कैसा मैंने तेरे आने जाने पे ता उमर लिखी है ज़मीन पे कोई खास नहीं मेरा तू एक बार क़ुबूल कर में अपने गवाहों को आसमा से बुलवाउंगा एक शायरी लिखी है कभी मिलोगे तो सुनाऊंगा। कई रात गुजारी है अंधेरे में तुम थोड़ा सा नूर ले आओगे मेरे तकिये पीले हैं आंसुओं से, क्या तुम मुझे अपनी गोद में सुलाओगे, सुना है बाग है तुम्हारे आंगन में, मेरे ला हासिल बचपन को वो झूला दिखाओगे ?? मैने खोया है अपनी हर प्यारी चीज को, में अपनी क़िस्मत फ़िर भी आजमाऊंगा एक शायरी लिखी है कभी मिलोगे तो सुनाऊंगा । ©Shivaye OM

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