#Nationalgirlchildday नन्हें नन्हें कदम लेकर आई वो | हिंदी कविता Video

"#Nationalgirlchildday नन्हें नन्हें कदम लेकर आई वो जब इस दुनिया में, सोचा होगा उसने कि देख उसे सब खुश होंगे, पर ऐसा ना था कुछ खुश थे, कुछ नाटक कर रहे थे, फिर भी उसके मासूम चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी । क्या कसूर है उसका जो उसके जन्म लेते ही कुछ के जज़्बात बदल गए, इसलिए कि वो बेटी है जिसके कारण कुछ के अंदाज ही बदल गए । ये कैसा समाज है जो इतना भेद भाव करता है, बेटा होने पर बधाइयां बेटी पर ताने कसता है । ये कैसी सोच लिए फिरते है इनको किसका गुमान है, क्या बेटियां कुछ नहीं सिर्फ बेटे ही अभिमान है । शर्म आती है ऐसे लोगों पर जिनकी ऐसी सोच है, बेटे ही सब कुछ है और बेटियां पैर की मोंच है । बेटियों ने जो किया है वो बेटे नहीं कर पाए, सिर्फ ये झूठी शान है कि बेटे ही सब कर पाए । फिर क्यों इसे अपनाने में इतना झिझका जाता है, फिर क्यों इसे दुलारने में इतना सोचा जाता है । क्या इसे हक नहीं इस दुनिया में आने का, क्यों इसके जन्म पर माँ को दुत्कारा जाता है । बेटा हो या बेटी दोनों ही एक समान, बेटा अगर शान है तो बेटी है स्वाभिमान । ©तुषार "बिहारी" "

#Nationalgirlchildday नन्हें नन्हें कदम लेकर आई वो जब इस दुनिया में, सोचा होगा उसने कि देख उसे सब खुश होंगे, पर ऐसा ना था कुछ खुश थे, कुछ नाटक कर रहे थे, फिर भी उसके मासूम चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी । क्या कसूर है उसका जो उसके जन्म लेते ही कुछ के जज़्बात बदल गए, इसलिए कि वो बेटी है जिसके कारण कुछ के अंदाज ही बदल गए । ये कैसा समाज है जो इतना भेद भाव करता है, बेटा होने पर बधाइयां बेटी पर ताने कसता है । ये कैसी सोच लिए फिरते है इनको किसका गुमान है, क्या बेटियां कुछ नहीं सिर्फ बेटे ही अभिमान है । शर्म आती है ऐसे लोगों पर जिनकी ऐसी सोच है, बेटे ही सब कुछ है और बेटियां पैर की मोंच है । बेटियों ने जो किया है वो बेटे नहीं कर पाए, सिर्फ ये झूठी शान है कि बेटे ही सब कर पाए । फिर क्यों इसे अपनाने में इतना झिझका जाता है, फिर क्यों इसे दुलारने में इतना सोचा जाता है । क्या इसे हक नहीं इस दुनिया में आने का, क्यों इसके जन्म पर माँ को दुत्कारा जाता है । बेटा हो या बेटी दोनों ही एक समान, बेटा अगर शान है तो बेटी है स्वाभिमान । ©तुषार "बिहारी"

नन्हें नन्हें कदम लेकर आई वो जब इस दुनिया में,
सोचा होगा उसने कि देख उसे सब खुश होंगे,
पर ऐसा ना था कुछ खुश थे, कुछ नाटक कर रहे थे,
फिर भी उसके मासूम चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी ।
क्या कसूर है उसका जो उसके जन्म लेते ही कुछ के जज़्बात बदल गए,
इसलिए कि वो बेटी है जिसके कारण कुछ के अंदाज ही बदल गए ।
ये कैसा समाज है जो इतना भेद भाव करता है,
बेटा होने पर बधाइयां बेटी पर ताने कसता है ।

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