याद आने लगी जिंदगी की हिकायत हमें
जैसे हो आंधी में उड़ता हुआ पत्ता कोई
अंजाम का डर सबको सताता है
विरासत में मिलती है जब सत्ता कोई
हया कितनी नजाकत से छुप जाती है
सर पर रख लेता है जब दुप्पटा कोई
नोट जुगाड़ने से थोड़ी फुरसत मिली, तो वो दिन याद आये
कंचे जब करता था इक्ट्ठा कोई
कुसूरवार वो मुझे ठहरा गया तो समझ आया
हालात से गुजर रहा है निहत्था कोई
#Poet
#lockdown
#thought