किताबों से आदमी के कटते रिश्ते पर
गुलजार साहब ने कितना सही कहा है-
किताबों से जो ज़ाती राब्ता था कट गया है
कभी सीने पे रख के लेट जाते थे
कभी गोदी में लेते थे
……..
वो सारा इल्म तो मिलता रहेगा आइंदा भी
मगर वो जो किताबों में मिला करते थे
सूखे फूल और
महके हुए रुक्के,
किताबें माँगने गिरने उठाने के बहाने
जो बनते थे रिश्ते
अब उन का क्या होगा!
©पूर्वार्थ
#reading
#Habit