हम क्या थे अब क्या हो गए हैं यारों, भूल अपनी मर्य | हिंदी शायरी

"हम क्या थे अब क्या हो गए हैं यारों, भूल अपनी मर्यादा बेपर्दा हो गए यारों। चारो तरफ है फैला जुर्म का काला साया, अब साये से भी डर लगने लगा है यारों। रौशनी की फ़िक्र करता नही है अब कोई, हर तरफ तूफां का आलम सा है यारों। लूट-खसोट,अत्याचार का है बाजार गर्म, दरवाजे तो है बंद जाएँ तो किधर यारों। उठ रहा हर तरफ बेबसी का धुंआ ही धुआं, अब तो साँस लेना भी हो गया दूभर यारों। तन पर न हो कपड़ा पावों से ढक लेंगे लाज को, पर पावों को भी खिचने वाले हैं बहुत यारों। रोज ही नए नए मंजर सामने आने लगे है, हँसते हँसते ही लोग चिल्लाने लगे हैं यारों। देख दुर्दशा देश की बहुत दूर निकल आयें, सात समन्दर पार भी न चैन आया यारों ©Deepbodhi"

 हम क्या थे अब क्या हो गए हैं यारों,
भूल अपनी मर्यादा बेपर्दा हो गए यारों।

चारो तरफ है फैला जुर्म का काला साया,
अब साये से भी डर लगने लगा है यारों।

रौशनी की फ़िक्र करता नही है अब कोई,
हर तरफ तूफां का आलम सा है यारों।

लूट-खसोट,अत्याचार का है बाजार गर्म,
दरवाजे तो है बंद जाएँ तो किधर यारों।

उठ रहा हर तरफ बेबसी का धुंआ ही धुआं,
अब तो साँस लेना भी हो गया दूभर यारों।

तन पर न हो कपड़ा पावों से ढक लेंगे लाज को,
पर पावों को भी खिचने वाले हैं बहुत यारों।

रोज ही नए नए मंजर सामने आने लगे है,
हँसते हँसते ही लोग चिल्लाने लगे हैं यारों।

देख दुर्दशा देश की बहुत दूर निकल आयें,
सात समन्दर पार भी न चैन आया यारों

©Deepbodhi

हम क्या थे अब क्या हो गए हैं यारों, भूल अपनी मर्यादा बेपर्दा हो गए यारों। चारो तरफ है फैला जुर्म का काला साया, अब साये से भी डर लगने लगा है यारों। रौशनी की फ़िक्र करता नही है अब कोई, हर तरफ तूफां का आलम सा है यारों। लूट-खसोट,अत्याचार का है बाजार गर्म, दरवाजे तो है बंद जाएँ तो किधर यारों। उठ रहा हर तरफ बेबसी का धुंआ ही धुआं, अब तो साँस लेना भी हो गया दूभर यारों। तन पर न हो कपड़ा पावों से ढक लेंगे लाज को, पर पावों को भी खिचने वाले हैं बहुत यारों। रोज ही नए नए मंजर सामने आने लगे है, हँसते हँसते ही लोग चिल्लाने लगे हैं यारों। देख दुर्दशा देश की बहुत दूर निकल आयें, सात समन्दर पार भी न चैन आया यारों ©Deepbodhi

#Sukha शायरी हिंदी में शायरी लव लव शायरी हिंदी में शायरी लव शायरी हिंदी

People who shared love close

More like this

Trending Topic