कहने को कुछ बचा हो तो कहते हम, ताउम्र कहते ही तो आ

"कहने को कुछ बचा हो तो कहते हम, ताउम्र कहते ही तो आये हैं हम। आओ मेरे तसव्वुर से निकल कर, तुम असल बनो इक सूरत इख़्तियार कर। के सदियों से जो क़तरे जोड़ता आया हूँ, बह निकलो तुम सीने से दरिया निकाल कर। एक एक तारा जो इकठ्ठा किया है मैने, चुपके से बिखर जाओ तुम एक क़ायनात सँवार कर। बस बहोत हो चुका तुम्हे छुपाना बचाना, सबको बताओ तुम मेरी हो अपना दिल हार कर। आशुतोष कुमार 'कुँवर'"

 कहने को कुछ बचा हो तो कहते हम,
ताउम्र कहते ही तो आये हैं हम।
आओ मेरे तसव्वुर से निकल कर,
तुम असल बनो इक सूरत इख़्तियार कर।
के सदियों से जो क़तरे जोड़ता आया हूँ,
बह निकलो तुम सीने से दरिया निकाल कर।
एक एक तारा जो इकठ्ठा किया है मैने,
चुपके से बिखर जाओ तुम एक क़ायनात सँवार कर।
बस बहोत हो चुका तुम्हे छुपाना बचाना,
सबको बताओ तुम मेरी हो अपना दिल हार कर।

आशुतोष कुमार 'कुँवर'

कहने को कुछ बचा हो तो कहते हम, ताउम्र कहते ही तो आये हैं हम। आओ मेरे तसव्वुर से निकल कर, तुम असल बनो इक सूरत इख़्तियार कर। के सदियों से जो क़तरे जोड़ता आया हूँ, बह निकलो तुम सीने से दरिया निकाल कर। एक एक तारा जो इकठ्ठा किया है मैने, चुपके से बिखर जाओ तुम एक क़ायनात सँवार कर। बस बहोत हो चुका तुम्हे छुपाना बचाना, सबको बताओ तुम मेरी हो अपना दिल हार कर। आशुतोष कुमार 'कुँवर'

#तस्वीर-ए-तस्सवुर

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