सकल जन बने दानी
कोई नहीं दीन
और बन जाए कुमुदिनी
बिना बने बबुल
जो बङे देते बच्चों को सीख
उसी पर खुद करें अमल
तो जग बने स्वर्ग
भु नहीं अपितु मानव
जीवन क्षणभंगुर
अबतो उपकारी में बन जाये नीम
जायक में लगे कङे
उस खजूर से क्या फायदा
जिसमें पङ जाय कीङे
©kisi ki mrs.
I wrote this poem when I was in class 5