रहने दो
वो जो अलग हुआ है आज मुझसे
वो जुड़ा हुआ है सदा मुझसे।
कैसा ये दर्दभरा समर खुद से
हिस्सा मेरा,अलग करना मुझसे!!
वो अंश है, टुकड़ा मेरा, प्राण है मेरा।
पेड़ हूं उसका,मैं सांस हूं उसकी।
वो बीज मेरा, अंकुर मेरा,रक्त मेरा।
मैं जननी हूं, मैं मां उसकी।
ये जीवन आह उसके तन मन की
बन जाती है दाह मेरे जीवन की।
वो जो अलग हुआ है आज मुझसे
वो जुड़ा रहा है सदा, सदा मुझसे।
जन्म के वक्त जो चीख सुनी
दर्द दिल का था, न तन की जनी।
दिल को चीर कर जो प्राण सींचा
आज मुझसे अलग उसे खींचा।
पुकार रही ममता मेरी, पुकार रही,
जीतने दो उसे,
जीने दो उसे,
ले जाओ उसे,
बढ़ने दो उसे,
रहने दो बस मुझे
... उससे जुड़ी!!
©Nina
हिंदी कविता