कपट जिसके मन में घर कर जाए जिससे जाए लिपट गला घों | हिंदी कविता

"कपट जिसके मन में घर कर जाए जिससे जाए लिपट गला घोंट दे नैतिकता की कहती दुनिया कपट सच्चाई का जानी दुश्मन खुराफत का दोस्त है हत्यारा विश्वास का है यह खाता उसका गोस्त है स्वार्थ यार उसका बचपन का और प्रेमिका है इर्ष्या आँखों में नफरत रहती है होठों पर बातें मिथ्या फैल रहा सम्राज्य जगत में कोई रोक न पाता है बेखुद छेद करे थाली में जिस थाली में खाता है ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 कपट

जिसके मन में घर कर जाए
जिससे जाए लिपट
गला घोंट दे नैतिकता की
कहती दुनिया कपट

सच्चाई का जानी दुश्मन
खुराफत का दोस्त है
हत्यारा विश्वास का है यह
खाता उसका गोस्त है

स्वार्थ यार उसका बचपन का
और प्रेमिका है इर्ष्या
आँखों में नफरत रहती है
होठों पर बातें मिथ्या

फैल रहा सम्राज्य जगत में
कोई रोक न पाता है
बेखुद छेद करे थाली में
जिस थाली में खाता है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

कपट जिसके मन में घर कर जाए जिससे जाए लिपट गला घोंट दे नैतिकता की कहती दुनिया कपट सच्चाई का जानी दुश्मन खुराफत का दोस्त है हत्यारा विश्वास का है यह खाता उसका गोस्त है स्वार्थ यार उसका बचपन का और प्रेमिका है इर्ष्या आँखों में नफरत रहती है होठों पर बातें मिथ्या फैल रहा सम्राज्य जगत में कोई रोक न पाता है बेखुद छेद करे थाली में जिस थाली में खाता है ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कपट

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