White अंगूठी के निशान को देखकर सोचता हूं
वो लोग हम राह थे हम सफ़र थे ही नहीं
भीतर ही भीतर मुझे ये बात खाए जाती है
उसके आंसू खुशी के थे ही नहीं
जीते जी मर गए विदेशों की जेलों में
जब वतन ने बताया ये सैनिक वतन के थे ही नहीं
गाँव गया तो बुजुर्गों ने नहीं पहचाना
बच्चों से सुनने में आया हम गांव के थे ही नहीं
मर के जले तो मिट्टी ने बताया
हम राख के थे मिट्टी के थे ही नहीं
©अनुज कार्तिक
#sad_shayari sad shayari