"सुनिए डरता तो मैं भी हूँ .... मैं भी तुम्हें खोना नहीं चाहता क्यूँ कि मैं जानता हूँ जब मोहब्बत का इजहार हो जाए, जब इकरार हो जाए तब उम्मीदें बहुत बढ़ जाती हैं, ख्वाहिशें आसमान छूने लगती हैं, जिम्मेदारियां पहाड़़ बन जाती हैं, और अक्सर जब वक्त की कमी हो तब बदगुमानियां सर चढ़ जाती हैं। इसीलिए मैंने तय किया है कि मैं कभी तुम्हें मजबूर नहीं करूँगा ...मैं कभी तुमसे तकाज़ा नहीं करूँगा कि तुम मुझसे मुहब्बत का इजहार करो ..... मगर याद रखना कहीं और दिल लग जाए तो हमें भुला मत देना ..... ।
©Daniyal
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