✍️आज की डायरी✍️ ✍️फ्री का डाटा...✍️ | हिंदी कविता

"✍️आज की डायरी✍️ ✍️फ्री का डाटा...✍️ जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा , ज़िन्दगी से बहुत कुछ हो गया है बाय-टाटा । साथ रहकर भी अलग से रहते हैं हम सब , अपनों को हमसे इसने कुछ इस तरह बांटा ।। जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ..(१) परिवार-समाज का माहौल ही बदल गया है , भीड़ में भी इसने इंसान को अलग किया है , देश दुनिया की ख़बर बस मोबाइल में देखते हैं , ऊब जाये उससे तो दूसरे की प्रोफाइल देखते हैं , ट्रेन- बस में अब तो बस होता है सिर्फ़ सन्नाटा ।। जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ...(२) किस्से-कहानी का तो जैसे जमाना ही चला गया , साथ अंत्याक्षरी में गीतों का गुनगुनाना चला गया , रोते बच्चों को भी बस मोबाइल से चिपका देते हैं , खिलौने के खेल छोड़ यूट्यूब की आदत लगा देते हैं , पहली शिक्षा भी बच्चा अब मोबाइल में ही पाता ।। जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ...(३) ये भी नहीं कि मोबाइल का प्रयोग करना गलत है , पर उपयोग उतना ही करो जितनी उसकी ज़रूरत है , बेवज़ह अपने उंगलियों को तुम मत चलाया करो , डेढ़ जीबी के लिए रात भर खुद को न जगाया करो , ज्ञानी वो है जो ज्ञान के लिए मस्तिष्क को है चलाता।। जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ...(४) ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र"

 ✍️आज की डायरी✍️

             ✍️फ्री का डाटा...✍️

जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ,
ज़िन्दगी से बहुत कुछ हो गया है बाय-टाटा ।
साथ रहकर भी अलग से रहते हैं हम सब ,
अपनों को हमसे इसने कुछ इस तरह बांटा ।।
जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ..(१)

परिवार-समाज का माहौल ही बदल गया है ,
भीड़ में भी इसने इंसान को अलग किया है ,
देश दुनिया की ख़बर बस मोबाइल में देखते हैं ,
ऊब जाये उससे तो दूसरे की प्रोफाइल देखते हैं ,
ट्रेन- बस में अब तो बस होता है सिर्फ़ सन्नाटा ।।
जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ...(२)

किस्से-कहानी का तो जैसे जमाना ही चला गया ,
साथ अंत्याक्षरी में गीतों का गुनगुनाना चला गया ,
रोते बच्चों को भी बस मोबाइल से चिपका देते हैं ,
खिलौने के खेल छोड़ यूट्यूब की आदत लगा देते हैं ,
पहली शिक्षा भी बच्चा अब मोबाइल में ही पाता ।।
जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ...(३)

ये भी नहीं कि मोबाइल का प्रयोग करना गलत है ,
पर उपयोग उतना ही करो जितनी उसकी ज़रूरत है ,
बेवज़ह अपने उंगलियों को तुम मत चलाया करो ,
डेढ़ जीबी के लिए रात भर खुद को न जगाया करो ,
ज्ञानी वो है जो ज्ञान के लिए मस्तिष्क को है चलाता।।
जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ...(४)

                          ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी✍️ ✍️फ्री का डाटा...✍️ जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा , ज़िन्दगी से बहुत कुछ हो गया है बाय-टाटा । साथ रहकर भी अलग से रहते हैं हम सब , अपनों को हमसे इसने कुछ इस तरह बांटा ।। जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ..(१) परिवार-समाज का माहौल ही बदल गया है , भीड़ में भी इसने इंसान को अलग किया है , देश दुनिया की ख़बर बस मोबाइल में देखते हैं , ऊब जाये उससे तो दूसरे की प्रोफाइल देखते हैं , ट्रेन- बस में अब तो बस होता है सिर्फ़ सन्नाटा ।। जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ...(२) किस्से-कहानी का तो जैसे जमाना ही चला गया , साथ अंत्याक्षरी में गीतों का गुनगुनाना चला गया , रोते बच्चों को भी बस मोबाइल से चिपका देते हैं , खिलौने के खेल छोड़ यूट्यूब की आदत लगा देते हैं , पहली शिक्षा भी बच्चा अब मोबाइल में ही पाता ।। जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ...(३) ये भी नहीं कि मोबाइल का प्रयोग करना गलत है , पर उपयोग उतना ही करो जितनी उसकी ज़रूरत है , बेवज़ह अपने उंगलियों को तुम मत चलाया करो , डेढ़ जीबी के लिए रात भर खुद को न जगाया करो , ज्ञानी वो है जो ज्ञान के लिए मस्तिष्क को है चलाता।। जब से आ गया है मोबाइल में फ्री का डाटा ...(४) ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र

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