मैं कैसे बताऊं तुम्हें तुमने मुझे कितना
सताया है, धोखा देकर मुझे किसी
और को अपना बनाया है, तुम करती रही
मुझसे साथ देने का वादा और
तुमने ही मुझे जहर पिलाया है, क्यों किया
तुमने ऐसा क्या मेरी मोहब्बत
कोई शतरंज का खेल थी, जो तुम चाले
चलती रही मुझे हराने के लिए,
क्या मुझपर विश्वास नहीं था जो चल
दिए मुझे गिराने के लिए,
एक बार तुम मुझे सच तो सुनते बोलने की
हिम्मत नहीं थी तो लिखकर बताते,
पर मेरी मोहब्बत को यूं बदनाम ना करते
छोड़ देते तुम्हारा साथ तुम्हारे साथ
ना चलते, जो हुआ जाने दो अब तुम्हारी
बात कभी ना करेंगे, तुम्हे याद
ना करके कम से कम शांति से मर तो सकेगे।
©Pradeep Kumar
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