ए किताबों! है बन्द अलमारी फिर भी बिखरती ज्ञान की | हिंदी Poetry

"ए किताबों! है बन्द अलमारी फिर भी बिखरती ज्ञान की रौशनी आकर्षित करती अज्ञानतम को बेधती जिज्ञासुओं को पुकारती लौट आओ साथी लूट लो मेरी पूंजी और मिटा दो गरीबी कहलाओ सन्त,गुरु ज्ञानी न रहे कोई भी अज्ञानी ©alka mishra"

 ए किताबों!
है बन्द अलमारी 
फिर भी बिखरती
ज्ञान की रौशनी
आकर्षित करती
अज्ञानतम को बेधती
जिज्ञासुओं को पुकारती
लौट आओ साथी
लूट लो मेरी पूंजी
और मिटा दो गरीबी
कहलाओ सन्त,गुरु ज्ञानी
न रहे कोई भी अज्ञानी

©alka mishra

ए किताबों! है बन्द अलमारी फिर भी बिखरती ज्ञान की रौशनी आकर्षित करती अज्ञानतम को बेधती जिज्ञासुओं को पुकारती लौट आओ साथी लूट लो मेरी पूंजी और मिटा दो गरीबी कहलाओ सन्त,गुरु ज्ञानी न रहे कोई भी अज्ञानी ©alka mishra

#किताब

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