महफूज नहीं अब,परिदों का आसमान भी उड़ान भरना सीख गया | हिंदी शायरी

"महफूज नहीं अब,परिदों का आसमान भी उड़ान भरना सीख गया, अब इंसान भी तरक्की करना कोई बुराई भी नहीं कमलेश काश समझ पाता कीमती औरों की जान भी ©Kamlesh Kandpal"

 महफूज नहीं अब,परिदों का आसमान भी
उड़ान भरना सीख गया, अब इंसान भी 

तरक्की करना कोई बुराई भी नहीं कमलेश 
काश समझ पाता कीमती औरों की जान भी

©Kamlesh Kandpal

महफूज नहीं अब,परिदों का आसमान भी उड़ान भरना सीख गया, अब इंसान भी तरक्की करना कोई बुराई भी नहीं कमलेश काश समझ पाता कीमती औरों की जान भी ©Kamlesh Kandpal

#Jaan

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