White आज आया तो लगा कल ठीक था
जो हुआ है हो गया चल ठीक था
खामखां कुछ बोलने से चुप भली
कहना बूढों का दरअसल ठीक था
बढ़ गई बेचैनियाँ लेकर दवा
दर्द रहता था मुसलसल ठीक था
छाया को तरसे तो आया याद अब
घर के आँगन में वो पीपल ठीक था
था नहीं इन हादसों का डर कभी
भागती गाड़ी से पैदल ठीक था
तुम अकलमंदों में रह के ठीक थे
मैं रहा पागल तो पागल ठीक था
©Rajbir Khorda
#Yoga