बहुत दिन हो गए हैं तुमसे बिछड़े हुए
इक उम्मीद है जो ऑनलाइन बुला लेती है
Sent Just Now बदलेगा Seen Just Now में
ये धड़कन जो मेरी न रही तुमसे मिलने के बाद
अब भला कहां मेरा कहा मानती है.....
इक एहसास आखिरी तुम कर दो,
हरण की रजामंदी तुम कर दो
चंद सिक्के वरण रोक पाएंगे भला
इक बार इशारा जो तुम कर दो....
थके हारे सहमे से तन्हा रातों में
प्रोफाइल तुम्हारी देख लेते हैं रोज
कुछ तस्वीरें छिपी हैं गैलरी में
यादें संजोयी जो साथ जिये पलों की
इक तुम हो कि दिल में ही रहती हो
सुनो! अपने नाम के पासवर्ड से
अब मेरी सांसें अनलॉक कर दो....
कुछ ख्वाब अधूरे हैं तुम्हारे बिन
"जल्दी उठो" कहो और पूरे कर दो तुम
✍️कवि अकेला
05 दिसंबर 2023
©KAVI AKELA
#Soul