देख लिया भरपाई करके,
रिश्तों की तुरपाई करके,
लेन-देन की परिपाटी में,
शक्कर,दूध,मलाई करके,
कोई नहीं याद रखता है,
देखा खूब भलाई करके,
फटे-पुराने कपड़े यारों,
टिकते नहीं सिलाई करके,
अनुशासन तोड़कर भागा,
देखा तनिक ढिलाई करके,
फसलों को लहराते देखा,
अहले सुबह गुड़ाई करके,
प्रकृति कोप के आगे कोई,
टिकता नहीं ढिठाई करके,
बूढ़ा बैल बोझ अब गुंजन,
देखा ख़ूब ढुलाई करके,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
प्रयागराज उ०प्र०
©Shashi Bhushan Mishra
#देख लिया भरपाई करके#