"मजबूर है मोहब्बत से के तेरी देहलीज मे आना पड़ता है,
हर रोज खुदा से बस तुझे मांगना पड़ता है,
के बिन माँगे मिल जाओ ना.
एक पल तोह साथ बिताओ ना
के सिखावे गिले कुछ नही,
दो बोल प्यार के सुनाओ ना.
तुम बोलो मे सुनता जाऊँ.
आँखो से बस पड़ता जाऊँ,
तुम मंजिल मे चलता जाऊँ
जो कलम बनो तुम, मै लिखता जाऊँ।
मै लिखता जाऊँ
©Mohit Bisht"