चलती रहेंगी महफिलें मेरे बिना भी मगर वो आवाज कहां | हिंदी Shayari

"चलती रहेंगी महफिलें मेरे बिना भी मगर वो आवाज कहां से लाओगे, चेहरे मिल जाएंगे हजार तुम्हे वो अंदाज कहां से लाओगे| दुश्मन के काफिले में घुस कर दहाड़ना सिर्फ शेरों की कला होती है............. सिपाही तो मिल भी जाएंगे तलाशने पर मगर वो जांबाज कहां से लाओगे || " मुसाफ़िर "(Ankur bhardwaj)......🖋️ A tribute to Major Mohit Sharma 🇮🇳 ©' मुसाफ़िर '"

 चलती रहेंगी महफिलें मेरे बिना भी मगर वो आवाज कहां से लाओगे,
चेहरे मिल जाएंगे हजार तुम्हे वो अंदाज कहां  से लाओगे|
दुश्मन के काफिले में घुस कर दहाड़ना सिर्फ शेरों की कला होती है.............
सिपाही तो मिल भी जाएंगे तलाशने पर मगर वो जांबाज कहां से लाओगे ||

" मुसाफ़िर "(Ankur bhardwaj)......🖋️

A tribute to Major Mohit Sharma 🇮🇳

©'  मुसाफ़िर '

चलती रहेंगी महफिलें मेरे बिना भी मगर वो आवाज कहां से लाओगे, चेहरे मिल जाएंगे हजार तुम्हे वो अंदाज कहां से लाओगे| दुश्मन के काफिले में घुस कर दहाड़ना सिर्फ शेरों की कला होती है............. सिपाही तो मिल भी जाएंगे तलाशने पर मगर वो जांबाज कहां से लाओगे || " मुसाफ़िर "(Ankur bhardwaj)......🖋️ A tribute to Major Mohit Sharma 🇮🇳 ©' मुसाफ़िर '

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