चाँद तेरा कुछ भी नहीं, यहाँ तक की, रोशनी भी आफ़ताब | हिंदी शायरी

"चाँद तेरा कुछ भी नहीं, यहाँ तक की, रोशनी भी आफ़ताब की पर तेरी चांदनी से जुड़ीं हैं बातें मोहब्बत की और ख्वाब की ©Kamlesh Kandpal"

 चाँद तेरा कुछ भी नहीं, यहाँ तक की, रोशनी  भी आफ़ताब की 
पर तेरी चांदनी से जुड़ीं हैं बातें मोहब्बत की और ख्वाब की

©Kamlesh Kandpal

चाँद तेरा कुछ भी नहीं, यहाँ तक की, रोशनी भी आफ़ताब की पर तेरी चांदनी से जुड़ीं हैं बातें मोहब्बत की और ख्वाब की ©Kamlesh Kandpal

#Aaftaab

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