Unsplash पन्नों पर जो ये हरियाली है।
वो करती इनकी रखवाली है।
डगमगा गई थी सफ़र में कहीं
ये कलम उसने ही संभाली है।।
ये साज़ है उसका, आगाज़ है उसका।
अल्फ़ाज़ है उसका, उसी की कव्वाली है।
वो है तो सब कुछ भरा-भरा सा लगता है।
और गर वो नहीं तो दोनों हाथ खाली है।।
©Rohit Bhargava (Monty)
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