New Year 2025 नए साल का नया सवेरा" वक़्त के मारो | हिंदी शायरी

"New Year 2025 नए साल का नया सवेरा" वक़्त के मारों की,उम्मीदें ही जीने का भरोसा है, जो चला गया कल उससे बंधी थी, दिलासा ही हाथ आई, आज आया है फिर से नहीं किरणें लेकर, इससे उम्मीद जगी है। ©Anuj Ray"

 New Year 2025 

नए साल का नया सवेरा"

वक़्त के मारों की,उम्मीदें ही जीने का 
भरोसा है, जो चला गया कल उससे बंधी थी,
 
दिलासा ही हाथ आई, आज आया है 
फिर से नहीं किरणें लेकर, इससे उम्मीद जगी है।

©Anuj Ray

New Year 2025 नए साल का नया सवेरा" वक़्त के मारों की,उम्मीदें ही जीने का भरोसा है, जो चला गया कल उससे बंधी थी, दिलासा ही हाथ आई, आज आया है फिर से नहीं किरणें लेकर, इससे उम्मीद जगी है। ©Anuj Ray

# नए साल का नया सवेरा"

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