देखता हूं मैं एक रोज ख़बर अख़बार में, सालों के रिश | हिंदी Shayari

"देखता हूं मैं एक रोज ख़बर अख़बार में, सालों के रिश्ते टूट जाते है, एक बार की तकरार में...// कसमें वायदे होते है जन्मों जन्मों के, लेकिन बिखर जाता हैं सब एक कागज के टुकड़े पर, क्या यही होता है प्यार में....// प्रेमिका फिर प्रेमिका बनी, और एक लड़का, सरदार बन बैठा, पागलखानों का....// अगर है नहीं उसे, भुलाने की दवा....., तो क्या फायदा इन दवाखानों का....// ©Molu Writer"

 देखता हूं मैं एक रोज ख़बर अख़बार में,
सालों के रिश्ते टूट जाते है, एक बार की तकरार में...//
कसमें वायदे होते है जन्मों जन्मों के,
लेकिन बिखर जाता हैं सब एक कागज के टुकड़े पर,
क्या यही होता है प्यार में....//
प्रेमिका फिर प्रेमिका बनी,
और एक लड़का, सरदार बन बैठा, पागलखानों का....//
अगर है नहीं उसे, भुलाने की दवा....., 
तो क्या फायदा इन दवाखानों का....//

©Molu Writer

देखता हूं मैं एक रोज ख़बर अख़बार में, सालों के रिश्ते टूट जाते है, एक बार की तकरार में...// कसमें वायदे होते है जन्मों जन्मों के, लेकिन बिखर जाता हैं सब एक कागज के टुकड़े पर, क्या यही होता है प्यार में....// प्रेमिका फिर प्रेमिका बनी, और एक लड़का, सरदार बन बैठा, पागलखानों का....// अगर है नहीं उसे, भुलाने की दवा....., तो क्या फायदा इन दवाखानों का....// ©Molu Writer

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