जब वो हंसती है तो हंसते हैं
ये नदियाँ , झरने ये पेड़ सारे
जब वो मुस्कुराती है तो
साथ उसके मुस्काती हैं ये दीवारें
उसका वो हाथों से चेहरे को छिपाना
जैसे चाँद का बादल में छिप जाना
उसका चेहरे से हाथ को हटाना जैसे
धीरे से चाँद का बादल से निकल जाना
@poetramashankar
#MorningTea