ऐ चांद तू हर रात दीदार दे
हर एक दिन ईद बन जाए।
हर रोज मैं सजदे कीया करूं
हर रोज गुनाहों से तौबा करूं
मेरे मालिक सब को मसरूफ रखना बलाओ से
चेहरों की मुस्कान धूमिल ना होने देना।
खुशियों से झोली भर दे मेरे मालिक
गुमनाम जिंदगियों को रोशन कर,
मेरे वतन मेरे मिट्टी को सलामत रखना
ए मेरे खुदा हमारी फरियादे और दुआओं को तू कबूल करना
इस ईद हम सबके गुनाहों को माफ करना।
©Gautam Pandey
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