सोचा न था, आजाद पंछी पिंजरे में वीर भी झुक गया रण | हिंदी Poetry Video

"सोचा न था, आजाद पंछी पिंजरे में वीर भी झुक गया रण में दिन छोटा और रात बढ़ गई अलग सी दीवानगी चढ़ गई सोचा न था कि गहरा असर कर जाओगी तुम रग-रग में इस कदर समा जाओगी तुम बेईमानी पर उतर आई है धड़कन भीग गया पूर्णतया मेरा तन-मन to be continue..... ©Trilok "

सोचा न था, आजाद पंछी पिंजरे में वीर भी झुक गया रण में दिन छोटा और रात बढ़ गई अलग सी दीवानगी चढ़ गई सोचा न था कि गहरा असर कर जाओगी तुम रग-रग में इस कदर समा जाओगी तुम बेईमानी पर उतर आई है धड़कन भीग गया पूर्णतया मेरा तन-मन to be continue..... ©Trilok

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