White मन खफा है, गुमशुदा है, ग़म का साया है, अजनबी | हिंदी कविता

"White मन खफा है, गुमशुदा है, ग़म का साया है, अजनबी-सा कोई दर्द, बेवजह भीतर पला है। राहें भी चुप हैं, मंज़िलें धुंधली, कदम रुक-रुक से, जैसे कोई थका कारवां। आसमान बेरंग है, सितारे कहीं खो गए, चाँदनी भी अब अंधेरों में घुल गई है। अश्क हैं, मगर बहते नहीं, जख्म हैं, पर दिखते नहीं, जैसे कोई राज़ छुपा है, सांसों की खामोशी में। खुशियां अधूरी, सपने बेमानी, हर चाहत जैसे खो गई ज़िंदगी की भीड़ में। रूह में शोर है, मन की परतों में ख़ामोशी, सवालों की कैद में कोई जवाब नहीं मिलता। शायद ये ग़म ही मेरा हमसफ़र है, या खामोशियों में बसी एक उलझन, लेकिन कहीं… धुंध के उस पार एक किरण बाकी है। Rajeev ©samandar Speaks"

 White मन खफा है, गुमशुदा है,
ग़म का साया है,
अजनबी-सा कोई दर्द,
बेवजह भीतर पला है।
राहें भी चुप हैं,
मंज़िलें धुंधली,
कदम रुक-रुक से,
जैसे कोई थका कारवां।
आसमान बेरंग है,
सितारे कहीं खो गए,
चाँदनी भी अब
अंधेरों में घुल गई है।
अश्क हैं, मगर बहते नहीं,
जख्म हैं, पर दिखते नहीं,
जैसे कोई राज़ छुपा है,
सांसों की खामोशी में।
खुशियां अधूरी,
सपने बेमानी,
हर चाहत जैसे
खो गई ज़िंदगी की भीड़ में।
रूह में शोर है,
मन की परतों में ख़ामोशी,
सवालों की कैद में
कोई जवाब नहीं मिलता।
शायद ये ग़म ही मेरा हमसफ़र है,
या खामोशियों में बसी एक उलझन,
लेकिन कहीं…
धुंध के उस पार
एक किरण बाकी है।
Rajeev

©samandar Speaks

White मन खफा है, गुमशुदा है, ग़म का साया है, अजनबी-सा कोई दर्द, बेवजह भीतर पला है। राहें भी चुप हैं, मंज़िलें धुंधली, कदम रुक-रुक से, जैसे कोई थका कारवां। आसमान बेरंग है, सितारे कहीं खो गए, चाँदनी भी अब अंधेरों में घुल गई है। अश्क हैं, मगर बहते नहीं, जख्म हैं, पर दिखते नहीं, जैसे कोई राज़ छुपा है, सांसों की खामोशी में। खुशियां अधूरी, सपने बेमानी, हर चाहत जैसे खो गई ज़िंदगी की भीड़ में। रूह में शोर है, मन की परतों में ख़ामोशी, सवालों की कैद में कोई जवाब नहीं मिलता। शायद ये ग़म ही मेरा हमसफ़र है, या खामोशियों में बसी एक उलझन, लेकिन कहीं… धुंध के उस पार एक किरण बाकी है। Rajeev ©samandar Speaks

#good_night @Gautam Kumar @Mukesh Poonia @Radhey Ray खामोशी और दस्तक अंजान

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