a-person-standing-on-a-beach-at-sunset रफ़्तारभरी ज़िंदगी में क्या कुछ बातें अधूरी छोड़ देनी चाहिए?
नहीं,
फ़िर ?
एक तारीख़ मुकम्मल कर लेनी चाहिए, जब वह तुम्हारी सारी अधूरी बातें इत्मीनान से सुन सके....
ताकि जब तुम्हारी खुबसुरत जिंदगी का पहर बदले तो वह कह सके....यह वहीं बात है न, अरे तुमने बताया तो था, अच्छा अभी भी, और तुम मुस्कराकर कहो, कितना अच्छा हुआ कि बात पूरी हो गई थी उस रोज़। दरअसल, क्या है न, इत्मीनान से की गई बातें ज़्यादा याद रहती हैं।
©Ruksar Bano
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