तिल तिल करके वो मर रहा है,
उसके सीने मे ज़ख्म पल रहा है,
है मायूसी उसके चहरे पर कुछ इस तरह,
जैसे गुलाब अपने आखरी दौर से गुज़र रहा है,
आशुओ कि गली उसकी आँखों से बहती है,
इस कदर वो घूट घूट के आहे भर रहा है,
तिल तिल करके वो मर रहा है,
उसके सीने मे ज़ख्म पल रहा है..
सोनूsinha_
©Sonu sinha
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