कितने तहजीब से बात की मैंने हर लफ्ज़ को तौल कर लिख

"कितने तहजीब से बात की मैंने हर लफ्ज़ को तौल कर लिखा है । बेचैनी कहीं दिख ना जाए मेरी इसलिए चेहरा छुपा रखा है । कैसे कह देते कितना याद आए तुम जो तुम्हे अच्छा लगे वहीं लिखा है । उम्मीद थी समझोगी हाल ए दिल मेरा कई बार तेरी आंखो में देखा है। बेचैन दिखे पैर तुम्हारे चेहरा तुमने भी छुपा रखा है ।"

 कितने तहजीब से बात की मैंने
हर लफ्ज़ को तौल कर लिखा है ।

बेचैनी कहीं दिख ना जाए मेरी
इसलिए चेहरा छुपा रखा है ।

कैसे कह देते कितना याद आए तुम
जो तुम्हे अच्छा लगे वहीं लिखा है ।

उम्मीद थी समझोगी हाल ए दिल मेरा
कई बार तेरी आंखो में देखा है।

बेचैन दिखे पैर तुम्हारे
चेहरा तुमने भी छुपा रखा है ।

कितने तहजीब से बात की मैंने हर लफ्ज़ को तौल कर लिखा है । बेचैनी कहीं दिख ना जाए मेरी इसलिए चेहरा छुपा रखा है । कैसे कह देते कितना याद आए तुम जो तुम्हे अच्छा लगे वहीं लिखा है । उम्मीद थी समझोगी हाल ए दिल मेरा कई बार तेरी आंखो में देखा है। बेचैन दिखे पैर तुम्हारे चेहरा तुमने भी छुपा रखा है ।

#sadlove

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