White कहां स्थिर अपना ठिकाना है पंछी सा जीवन बस उ | हिंदी कविता

"White कहां स्थिर अपना ठिकाना है पंछी सा जीवन बस उड़ते जाना है कभी इस नगरी कभी उस नगरी बसाना एक आशियाना हैं गहरी गलियों में ना दोस्त पुराना है डरता है मन नए दोस्त नया जमाना है कहां स्थिर अपना ठिकाना है पंछी सा जीवन में बस उड़ते जाना है , कहीं मन मिले कहीं उलझनो का फसाना है कट जाती है जिंदगी दिल और दिमाग को समझना हैं नफरतों की आंधियों से खुद को बचाना है लोगों की उम्मीदो के चक्र से ना ख़ुद के चक्र को घूमना हैं कहां स्थिर अपना ठिकाना है पंछी सा जीवन बस उड़ते जाना है ©kanchan Yadav"

 White कहां स्थिर अपना ठिकाना है 
पंछी सा जीवन बस उड़ते जाना है 

कभी इस नगरी कभी उस नगरी 
बसाना एक आशियाना हैं 

गहरी गलियों में ना दोस्त पुराना है 
डरता है मन नए दोस्त नया जमाना है 

कहां स्थिर अपना ठिकाना है 
पंछी सा जीवन में बस  उड़ते जाना है ,

कहीं मन मिले कहीं उलझनो का फसाना है 
कट जाती है जिंदगी 
 दिल और दिमाग को समझना हैं 

नफरतों की आंधियों से खुद को बचाना है 
लोगों की उम्मीदो के चक्र से 
ना ख़ुद के चक्र को घूमना हैं 

कहां स्थिर अपना ठिकाना है 
 पंछी सा जीवन बस उड़ते जाना है

©kanchan Yadav

White कहां स्थिर अपना ठिकाना है पंछी सा जीवन बस उड़ते जाना है कभी इस नगरी कभी उस नगरी बसाना एक आशियाना हैं गहरी गलियों में ना दोस्त पुराना है डरता है मन नए दोस्त नया जमाना है कहां स्थिर अपना ठिकाना है पंछी सा जीवन में बस उड़ते जाना है , कहीं मन मिले कहीं उलझनो का फसाना है कट जाती है जिंदगी दिल और दिमाग को समझना हैं नफरतों की आंधियों से खुद को बचाना है लोगों की उम्मीदो के चक्र से ना ख़ुद के चक्र को घूमना हैं कहां स्थिर अपना ठिकाना है पंछी सा जीवन बस उड़ते जाना है ©kanchan Yadav

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