वक्त हमारे हाथ से फिसलता जा रहा है,
एक शाम के बाद,नया सबेरा आ रहा है।
खुशियां समेट लूं ! मैं ताउम्र के लिए ,
मन बाबरा ए सोचकर चला जा रहा है।
कश्मकश बनी रही जिंदगी भर फिर भी,
अंधेरा अब तक, रोशनी से लड़े जा रहा है।
©#Jitendra777
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