वक्त हमारे हाथ से फिसलता जा रहा है, एक शाम के बाद, | हिंदी विचार

"वक्त हमारे हाथ से फिसलता जा रहा है, एक शाम के बाद,नया सबेरा आ रहा है। खुशियां समेट लूं ! मैं ताउम्र के लिए , मन बाबरा ए सोचकर चला जा रहा है। कश्मकश बनी रही जिंदगी भर फिर भी, अंधेरा अब तक, रोशनी से लड़े जा रहा है। ©#Jitendra777"

 वक्त हमारे हाथ से फिसलता जा रहा है,
एक शाम के बाद,नया सबेरा आ रहा है।

खुशियां समेट लूं ! मैं ताउम्र के लिए ,
मन बाबरा ए सोचकर चला जा रहा है।

कश्मकश बनी रही जिंदगी भर फिर भी, 
अंधेरा अब तक, रोशनी से लड़े जा रहा है।

©#Jitendra777

वक्त हमारे हाथ से फिसलता जा रहा है, एक शाम के बाद,नया सबेरा आ रहा है। खुशियां समेट लूं ! मैं ताउम्र के लिए , मन बाबरा ए सोचकर चला जा रहा है। कश्मकश बनी रही जिंदगी भर फिर भी, अंधेरा अब तक, रोशनी से लड़े जा रहा है। ©#Jitendra777

#Life #जिंदगी #Time
#think

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