तुमने क्यो ओढ़ ली चेहरे पर यह शिकन, कभी उसके लिये ज | हिंदी कविता

"तुमने क्यो ओढ़ ली चेहरे पर यह शिकन, कभी उसके लिये जीवन जी लिया होता। कभी तपिश, कभी ठंडी बयार भी तो थी, दुश्वारियों में भी कुछ मुस्कुरा लिया होता। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena"

 तुमने क्यो ओढ़ ली चेहरे पर यह शिकन,
कभी उसके लिये जीवन जी लिया होता।

कभी तपिश, कभी ठंडी बयार भी तो थी,
दुश्वारियों में भी कुछ मुस्कुरा लिया होता।


संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

तुमने क्यो ओढ़ ली चेहरे पर यह शिकन, कभी उसके लिये जीवन जी लिया होता। कभी तपिश, कभी ठंडी बयार भी तो थी, दुश्वारियों में भी कुछ मुस्कुरा लिया होता। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

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