{निगाहें यार} बड़ा अजीब हूं मैं, इतना अजीब हूं क | हिंदी शायरी

"{निगाहें यार} बड़ा अजीब हूं मैं, इतना अजीब हूं के, मेरी रूह भी नहीं जानती है मुझे! मैं जी रहा हूँ मगर सुन यार मेरे , मेरी साँस तक नहीं पहचानती है मुझे! तेरे बग़ैर बहुत अंधेरा है ख़ाली कमरे में, ये रूह तड़पती है, मगर घर तो मांनती है मुझे! काजी ऐ शहर ने फ़तवा दिया है मेरे खिलाफ, तेरी निगाह तो मासूम मांनती है मुझे! मैं तो यूँ चुप हूँ की बहुत सताया हुआ हूँ लोगो का, और ये दुनिया पुर असरार मांनती है मुझे! लोग क्या समझे मुझे कोई ग़म नहीं ऐ रब , तेरी निगाह तो जानती हैं मुझे! ©Written By PammiG"

 {निगाहें यार} 

बड़ा अजीब हूं मैं, इतना अजीब हूं के,
मेरी रूह भी नहीं जानती है मुझे!

मैं जी रहा हूँ मगर सुन यार मेरे ,
मेरी साँस तक नहीं पहचानती है मुझे!

तेरे बग़ैर बहुत अंधेरा है ख़ाली कमरे में, 
ये रूह तड़पती है, मगर घर तो मांनती है मुझे! 

काजी ऐ शहर ने फ़तवा दिया है मेरे खिलाफ, 
तेरी निगाह तो मासूम मांनती है मुझे!

मैं तो यूँ चुप हूँ की बहुत सताया हुआ हूँ लोगो का,
और ये दुनिया पुर असरार मांनती है मुझे!

लोग क्या समझे मुझे कोई ग़म नहीं ऐ रब , 
तेरी निगाह तो जानती हैं मुझे!

©Written By PammiG

{निगाहें यार} बड़ा अजीब हूं मैं, इतना अजीब हूं के, मेरी रूह भी नहीं जानती है मुझे! मैं जी रहा हूँ मगर सुन यार मेरे , मेरी साँस तक नहीं पहचानती है मुझे! तेरे बग़ैर बहुत अंधेरा है ख़ाली कमरे में, ये रूह तड़पती है, मगर घर तो मांनती है मुझे! काजी ऐ शहर ने फ़तवा दिया है मेरे खिलाफ, तेरी निगाह तो मासूम मांनती है मुझे! मैं तो यूँ चुप हूँ की बहुत सताया हुआ हूँ लोगो का, और ये दुनिया पुर असरार मांनती है मुझे! लोग क्या समझे मुझे कोई ग़म नहीं ऐ रब , तेरी निगाह तो जानती हैं मुझे! ©Written By PammiG

सूफियाना इश्क़
@Ambika Jha @Saleem @p j

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