"वक्त के दरमियान न जाने कितने फलसफे हैं
तेरी मेरी चाहतों के ना जाने कितने किस्से हैं
रहेगी सदा तेरी यादें मेरे संग वो खुशबू बन कर
जैसे भंवरे से मंडराते हम उस बगीचे घूमकर..
इन सुरमई रातों के पहर जितने काले है
काजल से उन नयन में विष के प्यालें है
जी करता है झूम उठूं इस मदहोश समय में
तुम क्या जानो मैंने यह दिन कैसे निकाले हैं..
वक्त के दरमियान कितने ख्वाब सजाने हैं
कुछ पूरे तो कुछ अधूरे रह जाने है
जिंदगी का यही फलसफा है देखो यारो
यह लम्हे तो बस पल में बीत जाने है..
छोटी सी है जिंदगी जीलो किसी अपने संग
ना जाने वो रिश्ते कहां छूट जाने है
अपना सफर तो बस यही तक था ओ साथी
चल अब चलें इस सफर में कई अफसाने है.. "
©navroop singh
#safar