घर" जहां मिलता है सुकून जहां होता है जुनून जहां | हिंदी कविता

""घर" जहां मिलता है सुकून जहां होता है जुनून जहां बीतता है बचपन जहां महसूस होता अपनापन वह कहलाता है घर जहां नहीं लगता डर जहां मिलती बड़ों की छाया जहां स्वस्थ रहती हमारी काया जहां छोटों को मिलता प्यार जहां होता अपनों का दुलार वह कहलाता है घर घर लौट कर ही आता आराम थकान का यही होता विश्राम घर में ही होती सुबह और शाम मेरे लिए तो घर ही है चारो धाम Yakshita Jain Research scholar,history"

 "घर"
जहां मिलता है सुकून
 जहां होता है जुनून 
जहां बीतता है बचपन
जहां महसूस होता अपनापन 
वह कहलाता है घर 
जहां नहीं लगता डर
 जहां मिलती बड़ों की छाया
 जहां स्वस्थ रहती हमारी काया 
जहां छोटों को मिलता प्यार 
जहां होता अपनों का दुलार 
वह कहलाता है घर 
घर लौट कर ही आता आराम
 थकान का यही होता विश्राम
 घर में ही होती सुबह और शाम 
मेरे लिए तो घर ही है चारो धाम
Yakshita Jain
Research scholar,history

"घर" जहां मिलता है सुकून जहां होता है जुनून जहां बीतता है बचपन जहां महसूस होता अपनापन वह कहलाता है घर जहां नहीं लगता डर जहां मिलती बड़ों की छाया जहां स्वस्थ रहती हमारी काया जहां छोटों को मिलता प्यार जहां होता अपनों का दुलार वह कहलाता है घर घर लौट कर ही आता आराम थकान का यही होता विश्राम घर में ही होती सुबह और शाम मेरे लिए तो घर ही है चारो धाम Yakshita Jain Research scholar,history

#ghar

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