खबर मेरी मौत की उसे जब मिलेगी
बहाने को आसूँ भी उसे कंधे न मिलेंगी
रहूँगा कहां मैं ये खुद भी न है पता
इक आहें उसे मेरी ये ले ढूबेंगी।
खबर मेरी मौत की उसे जब मिलेगी
मुझे ढूंढने निकलेंगे जब उनकी निगाहें
मैं हवा में लिपटकर उसे सताया करूंगा
बहकेगें उनके भी ये कदम
जब वक्त पे उन्हें मैं नज़र ना आऊंगा
खबर मेरी मौत की......
करेंगे वो सारे शिकवे और गिले
जब खोने के सिवाय कुछ न बचेंगे
हवा से लिपटेगें खुदको तोड़ेंगे
इक मोर पे आकर जब वो ठहरेंगे
खबर मेरी मौत की.....
©Deepak Kumar
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