वो सुबह अजीब थी, हमारी पहली मुलाकात की! कहाँ पता थ | हिंदी Video

"वो सुबह अजीब थी, हमारी पहली मुलाकात की! कहाँ पता था, इस कदर तुम मेरी ज़िंदगी मे हमेशा के लिए शामिल हो जाओगे! कुछ भी तो एक सा नही था हमारे बीच! न विचार, न व्यवहार, न लोग!! एक अप्रत्याशित सी सुबह थी! कुछ पीले गुलाब थे जो हमारे नहीं थे! एक भरी बस थी जिसमे सब पराए थे! तुम खुद भी तो तब पराए ही थे! प्रेम का इज़हार तो दूर कोई बात तक नहीं हुई थी हमारे बीच। और उस दिन से आज तक कितना कुछ बदल गया ना! बस यही एक बात जस की तस है। ना तुमने तब कुछ कह था, न आज कहा! पर मैंने तब भी सुन लिया था आज भी सुन लेती हूँ। अस्पष्ट था सबकुछ, बहुत सा संभ्रम था हमारे बीच। अनिर्णय और असमझ कि स्थिति में जन्म लिया रिश्ता अब तक जीवित है! आश्चर्य! और न केवल जीवित है वरन खुल कर खुशी से साँस ले पा रहा है बेहद आश्चर्य!!! और इससे भी बड़ा आश्चर्य इस कहानी के दोनों किरदारों में जिंदादिली और समझदारी की महक अब भी बरक़रार है!!! ये प्रेम कहानी नहीं है, ये है प्रेम की परत चढ़ी हुई तुम्हारे मेरे साझे प्रयास की कहानी! ©Divya Joshi"

वो सुबह अजीब थी, हमारी पहली मुलाकात की! कहाँ पता था, इस कदर तुम मेरी ज़िंदगी मे हमेशा के लिए शामिल हो जाओगे! कुछ भी तो एक सा नही था हमारे बीच! न विचार, न व्यवहार, न लोग!! एक अप्रत्याशित सी सुबह थी! कुछ पीले गुलाब थे जो हमारे नहीं थे! एक भरी बस थी जिसमे सब पराए थे! तुम खुद भी तो तब पराए ही थे! प्रेम का इज़हार तो दूर कोई बात तक नहीं हुई थी हमारे बीच। और उस दिन से आज तक कितना कुछ बदल गया ना! बस यही एक बात जस की तस है। ना तुमने तब कुछ कह था, न आज कहा! पर मैंने तब भी सुन लिया था आज भी सुन लेती हूँ। अस्पष्ट था सबकुछ, बहुत सा संभ्रम था हमारे बीच। अनिर्णय और असमझ कि स्थिति में जन्म लिया रिश्ता अब तक जीवित है! आश्चर्य! और न केवल जीवित है वरन खुल कर खुशी से साँस ले पा रहा है बेहद आश्चर्य!!! और इससे भी बड़ा आश्चर्य इस कहानी के दोनों किरदारों में जिंदादिली और समझदारी की महक अब भी बरक़रार है!!! ये प्रेम कहानी नहीं है, ये है प्रेम की परत चढ़ी हुई तुम्हारे मेरे साझे प्रयास की कहानी! ©Divya Joshi

#HappyRoseDay

वो सुबह अजीब थी, हमारी पहली मुलाकात की!
कहाँ पता था, इस कदर तुम मेरी ज़िंदगी मे हमेशा के लिए शामिल हो जाओगे! कुछ भी तो एक सा नही था हमारे बीच! न विचार, न व्यवहार, न लोग!!
एक अप्रत्याशित सी सुबह थी! कुछ पीले गुलाब थे जो हमारे नहीं थे! एक भरी बस थी जिसमे सब पराए थे! तुम खुद भी तो तब पराए ही थे! प्रेम का इज़हार तो दूर कोई बात तक नहीं हुई थी हमारे बीच।
और उस दिन से आज तक कितना कुछ बदल गया ना! बस यही एक बात जस की तस है।
ना तुमने तब कुछ कह था, न आज कहा!
पर मैंने तब भी सुन लिया था आज भी सुन लेती हूँ।

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