"बीते वक़्त ने पैरों के निशा छोड़े हैं क्या
आने वाले वक़्त ने ख़्वाब जोड़े हैं क्या
क्यों फ़िक्र में हैं तू आज और कल की
घर बनाने वाले हाथों ने दिल तोड़े है क्या
Alka yadav"
बीते वक़्त ने पैरों के निशा छोड़े हैं क्या
आने वाले वक़्त ने ख़्वाब जोड़े हैं क्या
क्यों फ़िक्र में हैं तू आज और कल की
घर बनाने वाले हाथों ने दिल तोड़े है क्या
Alka yadav