Unsplash रिश्तों की डोर उलझे, तो टूट जाती है, जुड़ | हिंदी कविता

"Unsplash रिश्तों की डोर उलझे, तो टूट जाती है, जुड़ने का फ़न यहाँ किसे आता है? हर शख़्स यहाँ अपने ग़म में डूबा है, दूसरे के दर्द को कौन सहलाता है? मुलाक़ातें अब चेहरों तक सीमित हैं, दिल का रास्ता कोई कहां बनाता है? वादे क़समें सब बातें लगती हैं झूठी, रिश्ता निभाने का वक़्त कौन लाता है? जो सबसे क़रीब था जहां से दूर हो गया, यादों के साये से आदमी दिल बहलाता है। राजीव ©samandar Speaks"

 Unsplash रिश्तों की डोर उलझे, तो टूट जाती है,
जुड़ने का फ़न यहाँ किसे आता है?

हर शख़्स यहाँ अपने ग़म में डूबा है,
दूसरे के दर्द को कौन सहलाता है?

मुलाक़ातें अब चेहरों तक सीमित हैं,
दिल का रास्ता कोई कहां बनाता है?

वादे क़समें सब बातें लगती हैं झूठी,
रिश्ता निभाने का वक़्त कौन लाता है?

जो सबसे क़रीब था जहां से दूर हो गया,
यादों के साये से आदमी दिल बहलाता है।
राजीव

©samandar Speaks

Unsplash रिश्तों की डोर उलझे, तो टूट जाती है, जुड़ने का फ़न यहाँ किसे आता है? हर शख़्स यहाँ अपने ग़म में डूबा है, दूसरे के दर्द को कौन सहलाता है? मुलाक़ातें अब चेहरों तक सीमित हैं, दिल का रास्ता कोई कहां बनाता है? वादे क़समें सब बातें लगती हैं झूठी, रिश्ता निभाने का वक़्त कौन लाता है? जो सबसे क़रीब था जहां से दूर हो गया, यादों के साये से आदमी दिल बहलाता है। राजीव ©samandar Speaks

#Book @Radhey Ray @Satyaprem Upadhyay @Sandeep L Guru @Mukesh Poonia मनीष शर्मा

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