Unsplash आज जम के रोते हैं कोन कहता है रात नहीं सो | हिंदी Poetry

"Unsplash आज जम के रोते हैं कोन कहता है रात नहीं सोती आज उसे भी अपने आगोश में सुलाते हैं रम के साथ गम को डुबोते हैं कुछ मैं कहूँगा और कुछ ये मेरी 4 दिवारे मिल के सपने नये संजोते हैं चलो आज जम के रोते हैं तनहाई तस्सबुर और तवाही ये आम बात है मुझसे पूछो कोन चलता साथ किसके और कोन देता रोते दिल की गवाही आज आसुओ में भी अपनी जिंदगी पिरोती है आज जम के रोते हैं चलो आज जाम के रोते हैं ©Dr kumar Shanu"

 Unsplash आज जम के रोते हैं
कोन कहता है
रात नहीं सोती
आज उसे भी अपने आगोश में सुलाते हैं

रम के साथ गम को डुबोते हैं
कुछ मैं कहूँगा
और कुछ ये मेरी 4 दिवारे
मिल के सपने नये संजोते हैं
चलो आज जम के रोते हैं

तनहाई तस्सबुर और तवाही
ये आम बात है मुझसे पूछो
कोन चलता साथ किसके
और कोन देता रोते दिल की गवाही
आज आसुओ में भी अपनी जिंदगी पिरोती है

आज जम के रोते हैं
चलो आज जाम के रोते हैं

©Dr kumar Shanu

Unsplash आज जम के रोते हैं कोन कहता है रात नहीं सोती आज उसे भी अपने आगोश में सुलाते हैं रम के साथ गम को डुबोते हैं कुछ मैं कहूँगा और कुछ ये मेरी 4 दिवारे मिल के सपने नये संजोते हैं चलो आज जम के रोते हैं तनहाई तस्सबुर और तवाही ये आम बात है मुझसे पूछो कोन चलता साथ किसके और कोन देता रोते दिल की गवाही आज आसुओ में भी अपनी जिंदगी पिरोती है आज जम के रोते हैं चलो आज जाम के रोते हैं ©Dr kumar Shanu

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