Unsplash आज जम के रोते हैं
कोन कहता है
रात नहीं सोती
आज उसे भी अपने आगोश में सुलाते हैं
रम के साथ गम को डुबोते हैं
कुछ मैं कहूँगा
और कुछ ये मेरी 4 दिवारे
मिल के सपने नये संजोते हैं
चलो आज जम के रोते हैं
तनहाई तस्सबुर और तवाही
ये आम बात है मुझसे पूछो
कोन चलता साथ किसके
और कोन देता रोते दिल की गवाही
आज आसुओ में भी अपनी जिंदगी पिरोती है
आज जम के रोते हैं
चलो आज जाम के रोते हैं
©Dr kumar Shanu
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