White नजर को नजर से शिकायत यही है। नजरो मे उनकी ईन | हिंदी शायरी

"White नजर को नजर से शिकायत यही है। नजरो मे उनकी ईनायत नही है।। नजर मे उनकी मोहब्बत के पेंगे। महबूब से उनके मिलन कही है।। उङने की है फितरत तितली की भॉति। स्थिर रहने की आदत कही नही है।। फूलो सी रंगत गुलाबी उनकी। ऑखो के डोरः हलाहल नही है।। चाहत को दिल रखते दबाए। दिल ए बस्ल मे चाहत नही है।। ©रघुराम"

 White नजर को नजर से शिकायत यही है।
नजरो मे उनकी ईनायत नही है।।
नजर मे उनकी मोहब्बत के पेंगे।
महबूब से उनके मिलन कही है।।
उङने की है फितरत तितली की भॉति।
स्थिर रहने की आदत कही नही है।।
फूलो सी रंगत गुलाबी उनकी।
ऑखो के डोरः हलाहल नही है।।
चाहत को दिल रखते दबाए।
दिल ए बस्ल मे चाहत नही है।।

©रघुराम

White नजर को नजर से शिकायत यही है। नजरो मे उनकी ईनायत नही है।। नजर मे उनकी मोहब्बत के पेंगे। महबूब से उनके मिलन कही है।। उङने की है फितरत तितली की भॉति। स्थिर रहने की आदत कही नही है।। फूलो सी रंगत गुलाबी उनकी। ऑखो के डोरः हलाहल नही है।। चाहत को दिल रखते दबाए। दिल ए बस्ल मे चाहत नही है।। ©रघुराम

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