Unsplash कुछ के लिए में खास लिखती हूं। कुछ के लिए | English Love

"Unsplash कुछ के लिए में खास लिखती हूं। कुछ के लिए बकवास लिखती हूं। हां क्यों न मुझ पर हंसें लोग ? खोकर जो अपने होशोहवास लिखती हूं। भला कैसे हो अदब मेरी कवीताओं में ? होकर जो मैं बदहवास लिखती हूं। उतर आते हैं शब्द दिल से कागज़ पर सच को जो मैं बेलिबास लिखती हूं। क्यों न सितम करे ए जमाना मुझ पर । समंदर के हिस्से में मैं जो प्यास लिखती हूं ? ©Manvi Singh Manu"

 Unsplash  कुछ के लिए में खास लिखती हूं।
कुछ के लिए बकवास लिखती हूं।
हां क्यों न मुझ पर हंसें लोग ?
खोकर जो अपने
 होशोहवास लिखती हूं।

भला कैसे हो अदब मेरी कवीताओं में ?
होकर जो मैं बदहवास लिखती हूं।

उतर आते हैं शब्द दिल से कागज़ पर
सच को  जो मैं बेलिबास लिखती हूं।
क्यों न सितम करे ए
जमाना
  मुझ पर  ।
समंदर के हिस्से में  
मैं जो प्यास लिखती हूं ?

©Manvi Singh Manu

Unsplash कुछ के लिए में खास लिखती हूं। कुछ के लिए बकवास लिखती हूं। हां क्यों न मुझ पर हंसें लोग ? खोकर जो अपने होशोहवास लिखती हूं। भला कैसे हो अदब मेरी कवीताओं में ? होकर जो मैं बदहवास लिखती हूं। उतर आते हैं शब्द दिल से कागज़ पर सच को जो मैं बेलिबास लिखती हूं। क्यों न सितम करे ए जमाना मुझ पर । समंदर के हिस्से में मैं जो प्यास लिखती हूं ? ©Manvi Singh Manu

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