अपने ही लोग
अपने ही लोग खींचते हैं टांग
फिर कहते हैं कि बनो महान
जैसे तुम चाहते हो वैसे नहीं
खो जाओगे जिंदगी में कहीं
हमें तजुर्बा है जिंदगी का
हमारे ही फैसले को मानने का
टूट कर बिखर जाओगे जिंदगी में
जो तुम रहे अगर अपनी जिद्द में
कुछ हासिल न कर पाओगे
अपने में सिमट कर रह जाओगे
हमारी बात मानलो
अभी भी वक्त है ये जानलो
धरती के प्राणी हो धरती पर रहो
जैसे हम चाहते हैं वैसे बनो
उड़ने की कोशिश न करो आसमान में
मुंह के बल गिरोगे, हंसी कराओगे समाज में
तुम्हारी खूबी को क्या हम देखें
उससे हासिल क्या होगा क्या हम समझें
हमारी भी कुछ उम्मीदें हैं तुमसे
तुम वही करोगे जो हम चाहते हैं तुमसे
अपने ही लोग खींचते हैं टांग
फिर कहते हैं कि बनो महान
जैसे तुम चाहते हो वैसे नहीं
खो जाओगे जिंदगी में कहीं
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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अपने ही लोग
अपने ही लोग खींचते हैं टांग
फिर कहते हैं कि बनो महान
जैसे तुम चाहते हो वैसे नहीं
खो जाओगे जिंदगी में कहीं