मिले न फूल तो काँटों से जख्म खाना है, उसी गली में | हिंदी Shayari

"मिले न फूल तो काँटों से जख्म खाना है, उसी गली में मुझे बार-बार जाना है, मैं अपने खून का इल्जाम दूँ तो किसको दूँ, लिहाज ये है कि क़ातिल से दोस्ताना है। ©Dil Se Dil Tak"

 मिले न फूल तो काँटों से जख्म खाना है,
उसी गली में मुझे बार-बार जाना है,
मैं अपने खून का इल्जाम दूँ तो किसको दूँ,
लिहाज ये है कि क़ातिल से दोस्ताना है।

©Dil Se Dil Tak

मिले न फूल तो काँटों से जख्म खाना है, उसी गली में मुझे बार-बार जाना है, मैं अपने खून का इल्जाम दूँ तो किसको दूँ, लिहाज ये है कि क़ातिल से दोस्ताना है। ©Dil Se Dil Tak

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