किसी की बिखरती है ज़िन्दगी कोई सवार लेता है,
कोई समय रहते ही अपनी गलतिया सुधार लेता है,
कोई तरसता है ताउम्र एक साईकल को भी,
कोई अपने बाप से तोहफ़े में नई कार लेता है,
कोई रहता है महलों में शान ओ शौकत से,
कोई ज़रूरतों के लिए भी पैसे उधार लेता है,
किसी किसी को नसीब होती है मंज़िल यहाँ,
कोई राहोँ में ही अपनी उम्र गुज़ार लेता है,
ये सब सब समय समय का खेल है "राजे"
कभी कोई हारता हुआ भी बाज़ी मार लेता है
©Ranjeet Singh