White बैठी हैं क्यों दर्द लिए;
आतीत-सा मन को शान्त किये ।
जो बीते पल माहुर से थे;
आज क्यों उनके जाम पिए।
भविष्य सुनहरा राह देखता;
तेरे हर पल आने की,
हौसले से तोड़ बेड़ियाँ
जख्म भरे अल्फाजों की
देख आसमाँ भर ऊँची उड़ाने;
आगे बढ़ तू इसी बहाने ,
दर्द मिटा तू ख्व़ाब गढ़ ;
भूल न उसे ;
जो कहता तू आगे बढ़।
जीवन समर में कुछ ऐसे उतर ;
शत्रु हो जाए छितर - बितर।।
मौत भी घबराए तुझ तक आने के लिए ,
तू बन जा एक मिसाल इस जमाने के लिए।।
©पूर्वार्थ
#जख्म से जीता