मैं लिख पाऊं कुछ तो मैं खुद को लिखूंगा खुद के हि | हिंदी Poetry

"मैं लिख पाऊं कुछ तो मैं खुद को लिखूंगा खुद के हिस्से का दर्द गम सब लिखूंगा वो मायूसी भरे दिन वो रोती हुई रातें लिखूंगा कुछ ख्वाब अधूरे कुछ शिकायतें लिखूंगा कुछ शोर अपना कुछ सन्नाटे लिखूंगा सबसे दूर लेकिन खुद के करीब लिखूंगा मैं खुद को बदनसीब लिखूंगा लिखूंगा मैं खुद को खुली किताब में फिर उस किताब को बेनाम लिखूंगा...!! ©Rishi Ranjan"

 मैं लिख पाऊं कुछ तो 
मैं खुद को लिखूंगा 
खुद के हिस्से का दर्द
गम सब लिखूंगा 
वो मायूसी भरे दिन
वो रोती हुई रातें लिखूंगा 
कुछ ख्वाब अधूरे
कुछ शिकायतें लिखूंगा
कुछ शोर अपना
कुछ सन्नाटे लिखूंगा 
सबसे दूर लेकिन
खुद के करीब लिखूंगा
मैं खुद को बदनसीब लिखूंगा
लिखूंगा मैं खुद को खुली किताब में
फिर उस किताब को बेनाम लिखूंगा...!!

©Rishi Ranjan

मैं लिख पाऊं कुछ तो मैं खुद को लिखूंगा खुद के हिस्से का दर्द गम सब लिखूंगा वो मायूसी भरे दिन वो रोती हुई रातें लिखूंगा कुछ ख्वाब अधूरे कुछ शिकायतें लिखूंगा कुछ शोर अपना कुछ सन्नाटे लिखूंगा सबसे दूर लेकिन खुद के करीब लिखूंगा मैं खुद को बदनसीब लिखूंगा लिखूंगा मैं खुद को खुली किताब में फिर उस किताब को बेनाम लिखूंगा...!! ©Rishi Ranjan

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